"अंग प्रदर्शन: आंतरिक रिक्तता का बाहरी उत्सव"
जब मैं कॉलेज में थी, एक बार जर्मनी से एक प्रख्यात मनोवैज्ञानिक आए थे। उनके लेक्चर का विषय था – “आधुनिक समाज में मानसिक विकृतियाँ और उनका सामाजिक प्रभाव।” उनका वक्तव्य आज भी स्मृति में ज्यों का त्यों अंकित है। उन्होंने कहा था कि कुछ सामाजिक प्रवृत्तियाँ जो आज 'प्रगतिवाद' या 'मुक्तता' के नाम पर स्वीकार की जा रही हैं, वास्तव में गहरी मानसिक विकृतियों का परिणाम हैं। उनके शब्द थे, "Not every rebellion against tradition is progress; sometimes, it is a symptom of an inner collapse." (हर परंपरा के विरुद्ध विद्रोह प्रगति नहीं होता; कभी-कभी यह आंतरिक पतन का लक्षण भी होता है।) अंग प्रदर्शन को लेकर समाज में जो धारणा गढ़ी गई है कि यह आधुनिकता और स्वतंत्रता का प्रतीक है, वह विशुद्ध भ्रांति है। मैंने तब अपने मनोविज्ञान के पाठ्यक्रम की एक पुस्तक में भी पढ़ा था कि 'अनुचित अंग प्रदर्शन' (Inappropriate Exposure) को मानसिक स्वास्थ्य विकारों की एक श्रेणी में रखा जाता है, जिसे Exhibitionism कहा जाता है। यह महज एक फैशन या सांस्कृतिक आंदोलन नहीं है; यह गहरी असुरक्षा, आत्महीन...